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Wednesday 24 January 2018

पद्मावत का विरोध करने वाली करणी सेना कौन है| कब-किसका किया विरोध |

पद्मावत का विरोध करने वाली करणी सेना कौन है| कब-किसका किया विरोध |

श्री राजपूत करणी सेना (एसआरकेएस) 2006 में स्थापित एक राजपूत जाति संगठन है। यह जयपुर, राजस्थान, भारत में आधारित है। ये समूह कथित "राष्ट्रीय एकता" की हिमायत करते हैं और जाति-केंद्रित सकारात्मक भेदभाव और "भ्रष्टाचार" का विरोध करते हैं। लोकेंद्र सिंह काल्वी इस संगठन के अगुआ है। इस संगठन का नाम करनी सेना बिकने की करणी माता  जो माँ जगदम्बा का रूप है के नाम से पड़ा ।दावा है की इस सेना की सादे सात लाख से ज्यादा मेंबर है और इनकी उम्र 40 साल के निचे है जिनकी उम्र इस से ऊपर हो जाती है उन एडवाइजरी कमेटी में डाल दिया जाता है



कैसे आई अस्तित्व में 
माना जाता है की करणी सेना सबसे पहले राजपूत आरक्षण की मांग की थी और तभी से ये अस्तित्व में आई फिर इनके साथ राजपूत लोग जुड़ते गए और ये अन्य मामलो के विरोध करके अपनी उपस्थति दर्ज करवाते रहते है ।



कब और किसका किया विरोध 
राजपूतो के लिए आरक्षण की मांग करने के बाद जैसे इनका दायरा बड़ा इन्होने अपना शक्ति प्र्दशन किया जब 2008 में जोधा अकबर मूवी आई तब इन्होने इस फिल्म का पूरजोर विरोध किया ।इसके बाद इन्होने 2013  में आये चर्चित सीरियल जोधा अकबर का विरोध किया जिसकी वजह से इस शो की अपने सीरियल शुरू करने से पहले बहुत मुस्किलो का सामना करना पड़ा । इसके बाद जब संजय लीला भंसाली की फिल्म जिसमे दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह ने अभिनय किया है पद्मावत का शोटिंग के दुराण ही विरोध किया गया उस समय खबरों की माने संजय लीला भंसाली को अहिंसा का सामना भी करना पड़ा ।


पद्मावत का विरोध
इस फिल्म का विरोध काफी लम्बे समय से हो रहा है और इसकी पहले की रिलीसिंग डेट भी टाल दी गई सुपरिम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद इसमें कई बदलाव भी किये गए यह तक की इसका नाम भी बदला गया जिसके बाद इसको अनुमति मिल गई परन्तु करणी सेना का विरोध अभी भी जारी है जो की बिना फिल्म को देखे प्र्दशन कर रहे है
आप इस मामले में क्या सोचते है अपने गए कमेंट करे 

1 comment:

  1. People need to understand that movie is made to mere entertain people. There is no way an attempt is made to malign the character of Padmaavati. Watch this movie with your heart open. Live Now India pleads protesters not to destroy private properties of innocent people.

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